1. गोलीय दर्पण क्या है? एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है, तो इसकी फोकस दूरी क्या है?
उत्तर- ऐसे दर्पण जिनका परावर्तन पृष्ठ गोलीय है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं।
फोकस दूरी (f)= वक्रता त्रिज्या (r) /2=20/2=10 cm.
2. उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस क्यों कहा जाता है?
उत्तर- उत्तल लेंस के द्वारा आपतित समांतर किरणे अपवर्तन के फलस्वरूप एक बिंदु पर मिलती हैं। यानी, उत्तल लेंस प्रकाश के समांतर किरणों को अभिसरित करता है। अतः उत्तल लेंस को इसी गुण के कारण अभिसारी लेंस कहते हैं।
3. दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर- एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर बन जाए। जब आँख ऐसा करने में अक्षम हो जाती है तो उसे दृष्टि दोष का नाम
दिया जाता है।
यह चार प्रकार के होते हैं-
(i) दूर-दृष्टि दोष,
(ii) निकट-दृष्टि दोष,
(iii) प्रेस्बायोपिया तथा
(iv) एस्टेग्माटिज्म ।
4. स्वच्छ आकाश का रंग नीला क्यों होता है?
उत्तर- सूर्य का प्रकाश जब वायुमंडल में प्रवेश करता है तब प्रकाश का प्रकीर्णन होता है। लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम और नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। रंग के प्रकीर्णन में नीले रंग की अधिकता होती है, इसलिए आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।
5. किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर- किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-
(1) चालक की लंबाई-चालक का प्रतिरोध R चालक की लंबाई के समानुपाती होता है।
इसका अर्थ है कि अगर लंबाई दो गुनी करेंगे तो प्रतिरोध भी दोगुना हो जाएगा और अगर लंबाई को आधा करेंगे तो प्रतिरोध भी आधा हो जाएगा।
(ii) अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल-चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के प्रतिलोमानुपाती होता है ।
इसका अर्थ है जब क्षेत्रफल दोगुना होगा तो प्रतिरोध आधा हो जाएगा।
(iii) पदार्थ की प्रकृति-प्रतिरोध इस बात पर भी निर्भर करता है कि चालक जिस पदार्थ का बनाया गया है उसकी प्रकृति क्या है।
(iv) चालक का तापमान ।
6. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर- विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। यह परिपथ में विद्युत-धारा के प्रवाह को उत्क्रमित करने में सहायता देता है। विद्युत-धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं पर आरोपित बलों की दिशाएँ भी उत्क्रमित
हो जाती हैं । इस प्रकार कुंडली की पहली भुजा जो पहले नीचे की ओर धकेली गयी थी अब ऊपर की तरफ धकेली जाती है तथा कुंडली की दूसरी भुजा जो पहले ऊपर की ओर धकेली गयी अब नीचे की ओर धकेली जाती है। इसलिए कुंडली तथा धुरी उसी दिशा में अब आधा घूर्णन और पूरा कर लेती हैं। प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात् विद्युत-धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता
है जिसके कारण कुंडली और धुरी का लगातार घूर्णन होता रहता है।
7. प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा में अन्तर बतायें।
उत्तर- दिष्ट धारा।
(i) इस धारा का परिमाण एवं दिशा समय के साथ स्थिर रहता है।
(ii) इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित करने पर अधिक ऊर्जआ का व्यय होता है।
(iii) ट्रांसफॉर्मर की मदद से इस धारा के विभवान्तर को बढ़ाना-घटाना संभव नहीं है।
(iv) इस धारा की सहायता से संचायक सेल को चार्ज किया जाता है।
(v) यह कम वोल्टेज के कारण अपेक्षा-कृत कम खतरनाक है।
प्रत्यावर्ती धारा
(i) इस धारा का परिमाण एवं दिशा समय के साथ बदलता है।
(ii) इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित करने पर कम ऊर्जा व्यय होता है।
(iii) ट्रांसफॉर्मर की सहायता से इस धारा के विभवांतर को घटना- बढ़ाना संभव है।
(iv) इस धारा की सहायता से संचायक सेल को चार्ज नहीं किया जा सकता है।
(v) यह अधिक वोल्टेज के कारण बहुत खतरनाक है।
8. ओम के नियम को लिखें।
उत्तर- यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएँ, जैसे ताप आदि में कोई परिवर्तन न हो तो उसके सिरों पर लगाया गया विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
V=RI, जहाँ R एक नियतांक है
11. निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए
(a) जिंक + सिल्वर नाइट्रेट -जिंक नाइट्रेट+ सिल्वर
(b) सोडियम + जल , सोडियम हाइड्रोक्साइड + हाइड्रोजन
उत्तर-
12. सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है। क्यों?
उत्तर- सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में OH- आयन की सांद्रता H+ की अपेक्षा अधिक होती है। अतः इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
13. खनिज पदार्थ एवं अयस्कों के बीच दो अन्तरों को लिखें।
उत्तर- खनिज
(i) धातुओं के प्राकृत यौगिक रूप को खनिज कहते हैं। अधिकांश धातुएँ हमें यौगिकों के रूप में ही प्राप्त होती हैं, जैसे-तांबा हमें पाइराइट या क्यूपराइट से प्राप्त होता है।
(ii) सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं
अयस्क
(i) जिन पदार्थों (खनिजों) से धातु का निष्कर्षण सरल हो उन्हें अयस्क कहते हैं, जैसे-ऐलमिनियम का अयस्क बॉक्साइट है तो लोहे का हैमेटाइट।
(ii) सभी अयस्क खनिज होते हैं।
14. कार्बन मुख्यतः सहसंयोजक यौगिक क्यों बनाता है?
उत्तर – चूँकि कार्बन की संयोजकता 4 है। अतः (a) इलेक्ट्रॉन खोकर या (b) चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास नहीं बना सकता। अतः यह इलेक्ट्रॉन की साझेदारी कर सहसंयोगी बंध बनाता है।
15. एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 है, तो इस तत्व का नाम एवं परमाणु संख्या क्या है?
उत्तर- तत्व का नाम-क्लोरीन, परमाणु संख्या-17
16. प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर- प्लास्टर ऑफ पेरिस में जल के साथ अभिक्रिया कर जिप्सम में बदल जाता है।
17. वन संरक्षण हेतु क्या कदम आवश्यक हैं?
उत्तर- वनों का संरक्षण निम्नलिखित कारणों से करना चाहिए-
(i) वनों से हमें फल, मेवे, सब्जियाँ तथा औषधियाँ प्राप्त होती हैं।
(ii) हमें वनों से इमारती लकड़ी तथा जलाने वाली लकड़ी (ईंधन) प्राप्त होती है।
(iii) वन पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने में सहयोग देते हैं।
(iv) वृक्षों के वायवीय भागों से पर्याप्त मात्रा में जल का वाष्पन होता है जो वर्षा के एक स्रोत का कार्य करते हैं।
(v) ये मृदा अपरदन एवं बाढ़ पर नियंत्रण करने में सहायक होते हैं।
(vi) वन वन्य जीवों का आश्रय प्रदान करते हैं।
(vii) ये धन प्राप्ति के अच्छे स्रोत हैं।
20. प्रकाश संश्लेषण क्या है? इसका रासायनिक समीकरण लिखें।
उत्तर-प्रकाश-संश्लेषण : हरे पौधे सूर्य के प्रकाश द्वारा क्लोरोफिल नामक वर्णक की उपस्थिति में CO2 और जल के द्वारा कार्बोहाइड्रेट (भोज्य पदार्थ) का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं
21. श्वसन एवं दहन में कोई दो अन्तर लिखें।
उत्तर- श्वसन
(i)शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में इसका उपयोग स्वसन कहलाता है।
(ii) इसमें कष्मा तथा प्रकाश की उत्पत्ति होती है।
दहन
(i) जब कोई पदार्थ ऑक्सीजन में जलता है तो दहन कहा जाता है।
(ii) इसमें ऊष्मा तथा प्रकाश की तात्पत्ति नहीं होती है।
22. मानव में परिवहन तंत्र के घटक कौन-कौन से हैं? दो घटकों के कार्य लिखें।
उत्तर- मानव में परिवहन तंत्र के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-
(i) हृदय, (ii) रुधिर, (iii) धमनियाँ, (iv) शिरायें तथा (v) रुधिरप्लेट्स।
दो घटकों के कार्य निम्नलिखित हैं-
हृदय हृदय रूधिर को शरीर के विभिन्न अंगों की सभी कोशिकाओं में वितरित करता है।
रुधिर-यह एक गहरे लाल रंग का संयोजी ऊतक है जिसमें तीन प्रकार की कोशिकाएँ स्वतंत्रतापूर्वक तैरती रहती हैं। भोजन, जल, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य वर्ण्य पदार्थों के अतिरिक्त हॉर्मोंस भी इसी के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों में रहते हैं।
लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थिति लाल रंग के पाउडर (हीमोग्लोबिन) का मुख्य कार्य ऑक्सीजन को फेफड़ों से प्राप्त करके शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाना है।
श्वेत रुधिर कणिकाओं का कार्य शरीर में आये हुए रोगाणुओं से युद्ध करके उसे स्वस्थ बनाये रखने में सहायता करना है।
23. उत्सर्जन की परिभाषा दें। उत्सर्जी पदार्थ क्या हैं?
उत्तर- शरीर में उपापचयी क्रियाओं द्वारा बने नेत्रजनीय अपशिष्ट पदार्थों का शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।
उत्सर्जन अंग-
वृक्क (Kidney)-जो रक्त में द्रव्य के रूप में अपशिष्ट पदार्थों (liquid waste product) को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालता है।
फेफड़ा (Lungs)-जो रक्त में गैसीय अपशिष्ट पदार्थों (gaseous waste product) को शरीर से बाहर निकालता है।
24. जन्तुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर- जंतुओं में अंत:स्रावी ग्रंथियाँ विशेष रसायनों को उत्पन्न करती हैं । वे रसायन या हॉर्मोन जंतुओं को सूचनाएँ संचरित करने के साधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। अधिवृक्क ग्रंथि से स्रावित एड्रीनलीन हॉर्मोन सीधा रुधिर में स्रावित होता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँच जाता है। ऊतकों में विशिष्ट गुण होते हैं जो अपने लिए आवश्यक हॉर्मोनों को पहचान कर उनका उपयोग बाहरी या भीतरी स्तर पर करते हैं। विशिष्टीकृत कार्यों को करने वाले अंगों
समन्वय कर वे हॉर्मोन अपना विशिष्ट प्रभाव दिखा देते हैं।
25. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर- अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन अधिक श्रेष्ठ है।
इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
(i) लैंगिक जनन में शुक्राणु तथा अंडाणु के सायुजन के कारण DNA द्वारा पैतृक गुण वर्तमान पीढ़ी के सदस्य में हस्तान्तरित हो जाते हैं जो जीवित रहने के लिए अधिक शक्तिशाली होते हैं जबकि अलैंगिक जनन में एकल DNA होने के कारण जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है।
(ii) लैंगिक जनन में DNA की दोनों प्रतिकृतियों में कुछ-न-कुछ अंतर अवश्य होते हैं जिनके परिणामस्वरूप नई पीढ़ी के सदस्य जीव में भिन्नता अवश्य दिखाई देती है जबकि अलैंगिक जनन में भिन्नता नहीं दिखाई देती । यदि उसमें किसी कारण से भिन्नता आ जाती है तो जीव की मृत्यु हो जाती है।
(iii) लैंगिक जनन उद्विकास में बहुत सहायक है जबकि अलैंगिक जनन उद्विकास में सहायक नहीं है
26. पारितंत्र में अपघटकों की क्या भूमिका है?
उत्तर- अपघटक वे सूक्ष्मजीव हैं जो मृत पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर में उपस्थित कार्बनिक यौगिकों का अपघटन करते हैं तथा उन्हें सरल यौगिकों और तत्वों में बदल देते हैं। ये सरल यौगिक तथा तत्व पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस चले जाते हैं। जीवमंडल में अपघटकों का महत्त्व अपघटक जीव मृत पौधों और जंतुओं के मृत शरीरों के अपघटन में सहायता करते हैं तथा इस प्रकार वातावरण को स्वच्छ रखने का कार्य करते हैं । अपघटक जीव मृत पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीरों में उपस्थित विभिन्न तत्त्वों को फिर से पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस पहुँचाने का कार्य भी करते हैं । पोषक तत्त्व पुनः प्राप्त हो जाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है और यह मिट्टी बार-बार फसलों का पोषण करती रहती है।