1848 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे? 1848 Ki Francisi Kranti Ke Kya Karan The 1848 Ki Francisi Kranti Ke Kya Karan The
प्रश्न 1. 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर-1848 ई० की फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख कारण थे-
(i) मध्यम वर्ग का शासन पर प्रभाव ।
(ii) राजनीतिक दलों में संगठन का अभाव ।
(iii) समाजवाद का प्रसार ।
(iv) लुई फिलिप की नीति की असफलता ।
इस क्रांति का सबसे प्रमुख कारण लुई फिलिप की नीति और जनता में उसके प्रति असंतोष था। वह जनता की तत्कालीन समस्याओं को सुलझाने में असमर्थ रहा जिसके कारण क्रांति का सूत्रपात हुआ ।
Question 1. What were the reasons for the French Revolution of 1848?
Answer – The main reasons for the French Revolution of 1848 AD were-
(i) Effect of middle class on governance.
(ii) Lack of organization in political parties.
(iii) The spread of socialism.
(iv) The failure of Louis Philippe’s policy.
The main reason for this revolution was Louis Philippe’s policy and public dissatisfaction with him. He was unable to solve the then public problems which led to the revolution.
प्रश्न 3. गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा करें।
उत्तर-गैरीबाल्डी- ज्यूसप गैरीबाल्डी का जन्म 1807 में नीस नामक नगर में हुआ था। यह पेशे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थन था परन्तु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का समर्थक बन गया। गैरीबाल्डी ने सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के प्रांतों का एकीकरण कर वहाँ गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया। गैरीबाल्डी ने सिसली और
नेपल्स पर आक्रमण किया। इन प्रांतों की अधिकांश जनता बूबों राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी का समर्थक बन गई थी। गैरीबाल्डी ने यहाँ विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता सँभाली। गैरीबाल्डी के दक्षिण अभियान का काबूर ने भी समर्थन किया। 1862 ई. में गैरीबाल्डी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई ।
काबूर ने गैरीबाल्डी के इस अभियान का विरोध करते हुए रोम की रक्षा के लिए पिडमाउंट की सेना भेज दी। अभियान के बीच में ही गैरीवाल्डी की काबूर से भेंट हो गई तथा रोम अभियान वहीं खत्म हो गया । दक्षिणी इटली के जीते गए क्षेत्रों को गैरीवाल्डी ने विक्टर इमैनुएल को सौंप दिया ।
गैरीबाल्डी अपनी सारी सम्पत्ति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान का जीवन जीने लगा। जिस त्याग, देशभक्ति और वीरता का परिचय उसने दिया, उसके उदाहरण संसार के इतिहास में बहुत कम मिलते हैं। गैरीवाल्डी के इस चरित्र का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर बहुत प्रभाव पड़ा। स्वयं लाला लाजपत राय ने गेरीवाल्डी की जीवनी लिखी है।
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