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12th Economics Important Short Question Part 1

Q. 1. व्यष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं ?

 

Ans. व्यष्टि अर्थशास्त्र उस अर्थशास्र को कहा जाता है, जिसमें विशेष व्यक्तियों, परिवारों, उद्योगों, फर्मों, विशेष वस्तुओं के मूल्यों, श्रमिक की मजदूरी और आय आदि का अध्ययन किया जाता है। बोल्डिंग के अनुसार, “व्यष्टि अर्थशास्त्र विशेष फर्मों, विशेष वैयक्तिक मूल्यों, मजदूरियों, व्यक्तिगत उद्योगों तथा विशेष्टि वस्तुओं का अध्ययन है।” इस प्रकार व्यष्टि अर्थशास्र में उपयोगिता हास नियम, उपभोक्ता का बचत सिद्धान्त, सम-सीमान्त उपयोगिता हास नियम, व्यक्तिगत फर्म, निजी उद्योग आदि शामिल होता है। यह मूल्य सिद्धान्त के नाम से भी जाना जाता है।

Q.2. व्यष्टि अर्थशास्त्र के कौन-कौन से क्षेत्र हैं ?

 

Ans. रैगनर फ्रिश ने अर्थशास्र को दो प्रमुख शाखाओं में बांटा है-पहला व्यष्टि अर्थशास्र तथा दूसरा समष्टि अर्थशास्त्र। व्यष्टि अर्थशास्र के क्षेत्र निम्नलिखित हैं-

 

(क) मांग का नियम,

 

(ख) उत्पादन एवं लागत का सिद्धान्त

 

(ग) साधन मूल्य सिद्धान्त,

 

(घ) आर्थिक कल्याण का सिद्धान्त ।

Q. 3. व्यष्टि अर्थशास्त्र की कौन-कौन-सी विशेषताएं हैं?

                                अथवा

व्यष्टि अर्थशास्त्र की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख करें।

 

Ans. अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसमें व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों का अध्ययन किया बाता है, उसे व्यष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं। इसकी तीन विशेषताएं इस प्रकार हैं-

 

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्ति एवं व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन होता है।

 

2. इसमें व्यक्तिगत स्तर पर आर्थिक समस्या का अध्ययन किया जाता है।

 

3. इसमें आर्थिक समस्याओं के निराकरण में कीमत संयंत्र अर्थात् माँग एवं पूर्ति बलों की क्रिया निर्णायक होती है।

Q. 4. सूक्ष्म एवं वृहत अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट करें।

                            अथवा

 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट करें।

 

Ans. व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में निम्नलिखित अन्तर है-

(1) व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत व्यक्तिगत इकाइयों, जैसे-व्यक्ति, फर्म, परिवार तथा उद्योग का अध्ययन किया जाता है, जबकि समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत सम्पूर्ण अर्थव्यस्था का समग्र रूप से अध्ययन किया जाता है। जैसे-कुल आय, कुल रोजगार आदि।

 

(2) व्यष्टि अर्थशास्त्र का विश्लेषण अपेक्षाकृत सरल होता है, जबकि समष्टि का विश्लेषण बहुत ही कठिन होता है।

 

(3) व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध मूलतः कीमत विश्लेषण से होता है, जबकि समष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध आय विश्लेषण से होता है।

 

(4) व्यष्टि अर्थशास्त्र के नियम मूलतः सीमान्त विश्लेषण पर आधारित होते हैं, जबकि समष्टि अर्थशास्त्र के नियम किसी एक पर आधारित नहीं होकर अनेकों पर आधारित हैं।

Q.5. व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र की परस्पर निर्भरता को स्पष्ट कीजिए।

 

Ans. व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। यदि एक उद्योग में मजदूरी की दर तय की जाती है तो उस पर सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के सामान्य मजदूरी स्तर का अवश्य प्रभाव पड़ेगा। देश के सामान्य कीमत स्तर का किसी एक वस्तु की कीमत पर प्रभा पड़ेगा। इस प्रकार समष्टि अर्थशास्त्र व्यष्टि अर्थशास्त्र को प्रभावित करता है। इसी प्रकार व्यष्टि अर्थशास्त्र भी समष्टि अर्थशास्त्र को प्रभावित करता है। व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों के उत्पादन पर. ही देश का कुल उत्पादन स्तर और देश के विभिन्न व्यक्तियों की मांग पर ही समस्त मांग निर्भर

करती है।

 

Q.6. समष्टि अर्थशास्त्र किस विषय का अध्ययन करता है।

या समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं ?

 

Ans. अर्थशास्त्र की वह शाखा जो सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का एक इकाई के रूप में अध्ययन करता है, समष्टि अर्थशास्त्र कहलाता है। इसमें कुल राष्ट्रीय आय तथा उत्पादन, कुल रोजगार, कुल निवेश कुल उपयोग तथा कीमत स्तर आदि का अध्ययन किया जाता है। इसलिए इसे सामूहिक

अर्थशास्त्र भी कहा जाता है।

 

Q.7. चाय की दो पूरक वस्तुओं का उदाहरण दें।

या, पूरक वस्तु का तात्पर्य क्या है ?

 

उत्तर-किसी एक आवश्यकता की संतुष्टि के लिए यदि दो वस्तुओं की माँग संयुक्त रूप से की जाती है तो वे पूरक वस्तुएँ कहलाती है। चाय की दो पूरक वस्तुएँ हैं-चीनी और दूध।

Q.8. स्थानापन्न वस्तु का अभिप्राय क्या है?

अथवा, (प्रतियोगी वस्तुएँ किसे कहते हैं? )

 

Ans. स्थानापन्न अथवा प्रतियोगी वस्तुएं उन वस्तुओं को कहा जाता है जो एक-दूसरे के स्थान पर एक ही उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रयुक्त होती है। जैसे-चाय और कॉफी। इन वस्तुओं के सम्बन्ध में मांग में परिवर्तन इस प्रकार होता है कि यदि एक वस्तु (चाय) की कीमत बढ़ जाए और दूसरी स्थानापन्न वस्तु (कॉफी) की कीमत समान रहे। तो उपभोक्ता पहली वस्तु (चाय) की माँग कम कर देगा और दूसरी स्थानापन्न वस्तुए (कॉफी) की मांग बढ़ा देगा। स्पष्ट है कि स्थानापन्न वस्तुओं की कीमत तथा मांगी गई मात्रा में सीधा सम्बन्ध होता है, क्योंकि एक वस्तु की कीमत में वृद्धि या कमी दूसरी वस्तु की माँग में वृद्धि या कमी करती है।

Q.9. सामान्य वस्तुओं और घटिया वस्तुओं में क्या अन्तर है ? या सामान्य वस्तु और निकृष्ट वस्तु में अन्तर स्पष्ट करें।

 

Ans. सामान्य वस्तु वे हैं जिनकी मांग में आय वृद्धि के साथ वृद्धि होती है और आय में कमी के साथ मांग में भी कमी हो जाती है। हम जो भी वस्तुएँ उपयोग करते हैं उनमें से अधिकतर सामान्य वस्तुएं हैं। यहाँ आय एवं माँग वक्र का सीधा ढाल होता है। यह ऊपर की ओर उठती हुई

रेखा होती है। घटिया या निकृष्ट वस्तुएँ वे हैं जिनकी माँग आय वृद्धि के साथ कम हो जाती है और आय में कमी के साथ बढ़ जाती है। ऐसी परिस्थिति में आय एवं मांग में विपरीत सम्बन्ध होता है और आय एवं मांग वक्र का ऋणात्मक ढाल होता है। मोटा अनाज, मोटा कपड़ा, डालडा, बीड़ी आदि इसी श्रेणी में आते हैं।

 

Q. 10. पूरक वस्तु और स्थानापन्न वस्तु अन्तर स्पष्ट करें।

 

Ans. वे वस्तुएँ जो किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक साथ प्रयोग की जाती है। पूरक वस्तुएं कहलाती हैं। जैसे- कार और पेट्रोल, कलम और स्याही। इसके विपरीत स्थानापन्न वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो एक-दूसरे के बदले एक ही उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाती है। जैसे-चाय और कॉफी। ऐसी वस्तुओं में जब एक की कीमत बढ़ती है तो अन्य

बातों के समान रहने की स्थानापन्न वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है। उदाहरणार्थ, कॉफी की कीमत बढ़ने पर चाय की मांग बढ़ जाती है।

 

0.11. मध्यवर्ती वस्तुओं के दो उदाहरण दें। या, मध्यवर्ती वस्तु क्या है ?

 

Ans. मध्यवर्ती वस्तुएँ वे वस्तुएं होती हैं जो अंतिम प्रयोग कर्ता द्वारा प्रयोग के लिए तैयार नहीं होती हैं तथा ये उत्पादन सीमा रेखा के अन्दर होती है। ऊन, दूध आदि

इसके उदाहरण हैं।

 

Q. 12. सीमांत उत्पाद क्या है ?

Ans. किसी वस्तु या सेवा के उपयोग में इकाई वृद्धि करने पर प्राप्त होने वाले लाभ को उस वस्तु या सेवा की सीमान्त उत्पाद कहते हैं।

 

Q. 13. अनाधिमान वक्र परिभाषित करें।

 

Ans. ऐसा वंक्र जिसमें उन सभी बंडलों के बिन्दुओं को जोड़ दिया जाता है, जिनके बीच उपभोक्ता तटस्थ है अनाधिमान वक्र कहलाता है।

 

Q.14. सकल घरेलू उत्पाद को परिभाषित करें।

या, सकल घरेलू उत्पाद की विशेषताएं बताइए।

 

Ans. एक देश की घरेलू सीमा में उत्पादित समस्त अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। इसका आकलन एक लेखा वर्ष के लिए कियाजाता है। इसमें मूल्य हास या स्थिर पूँजी पदार्थों के उपभोग का मूल्य भी सम्मिलित किया जाता है।

प्रचलित कीमतों पर इसकी माप की जाती है।

 

Q.15. एक अर्थव्यवस्था की तीन आधारभूत आर्थिक क्रियाएं बताइए।

 

Ans. एक अर्थव्यवस्था की तीन आधारभूत आर्थिक क्रियाएँ हैं-

(i) उत्पादन

(ii) उपभोग तथा

(iii) निवेश या पूँजी निर्माण।

Q. 16. वास्तविक प्रवाह क्या है ?

 

Ans. वास्तविक प्रवाह का तात्पर्य है अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह से। जैसे- उत्पादक क्षेत्र के माध्यम से परिवार क्षेत्र को वस्तुओं का प्रवाह।

 

Q. 17. मूल्य ह्रास से आप क्या समझते हैं ?

 

Ans. उत्पादन प्रक्रिया में प्रयोग या उपयोग के कारण मशीनरी सरीखी पूँजीगत वस्तुओं की टूट-फूट हो जाती है या मूल्य घट जाता है। स्थिर पूँजी का यह उपयोग अथवा टूट-फूट के कारण पूंजी के मूल्य में आई कमी को मूल्य हास कहा जाता है।

 

Q. 18. आवश्यकताओं के दुहरा संयोग से आप क्या समझते हैं ?

 

Ans. आवश्यकताओं का दुहरा संयोग एक ऐसी स्थिति है, जहाँ दो आर्थिक एजेंटों के पास एक-दूसरे के आधिक्य उत्पादन के लिए पूरक माँग हो।

 

Q. 19. सरकार का बजट क्या है ?

 

Ans. बजट सरकार के वित्तीय प्रशासन का प्रधान उपकरण है। इसके अन्तर्गत सरकार की वित्तीय योजना सम्बन्धी वे लेखे या परिपत्र शामिल होते हैं, जिन्हें वित्त मंत्री प्रतिवर्ष संसद में प्रस्तुत करते हैं। सरकार की सभी वित्तीय कार्यवाहियाँ बजट से ही निर्धारित होती है।

 

Q. 20. निर्गत गुणक क्या है ?

 

Ans. अतिम वस्तुओं के निर्गत के संतुलन मूल्य में कुल वृद्धि और स्वायत व्ययमें आरम्भिक वृद्धि के अनुपात को अर्थव्यवस्था का निर्गत गुणक कहते हैं

 

Q. 21. खुली अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?

 

Ans. खुली अर्थव्यवस्था इस अर्थव्यवस्था को कहते हैं, जिसमें किसी को किसी से भी व्यापार करने की छूट होती है।

 

Q. 22. किसी सरकार के प्रमुख कार्य क्या है ?

 

Ans. सरकार के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है-

(i) नए कानून बनाना।

(ii) पुराने कानून को लागू रखना।

(ii) झगड़ों में मध्यस्थता करना।

 

Q.23. अर्थव्यवस्था में स्फीति का क्या अर्थ है ?

या मुद्रा स्फीति क्या है?

 

Ans. मुद्रा स्फीति वह स्थिति है जिसमें मुद्रा का मूल्य गिरता है और पदार्थों के मूल्य बढ़ते हैं।

 

Q.24. उपभोक्ता मांग वक्र कब शिफ्ट करता है?

 

Ans. उपभोक्ता की आय और इसके अधिमान के दिए होने की स्थिति में यदि सम्बन्धित वस्तु की कीमत में परिवर्तन होता है तब किसी वस्तु की कीमत के प्रत्येक स्तर पर उस वस्तु के लिए मांग में परिवर्तन हो जाता है और इस प्रकार मांग वक्र शिफ्ट हो जाता है। यदि स्थानापन्न वस्तु की कीमत बढ़ती है, तब मांग वक्र दाई ओर शिफ्ट होता है। इसके विपरीत यदि पूरक वस्तु की कीमत बढ़ती है तो माँग वक्र का शिफ्ट बाईं ओर होता है।

 

Q. 25. ‘मुद्रा लेखा की इकाई है।’ समझाइए।

 

Ans. मुद्रा लेखा की इकाई के रूप में भी कार्य करता है। यह वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापने का एक आम उपाय है। इसके माध्यम से किसी भी वस्तु या सेवा के मूल्य को जाना जा सकता है। साथ ही कोई खरीददार या बेचने वाला किसी वस्तु की कितनी कीमत अदा कर रहा है या कितनी कीमत वसूल कर रहा है। यह सब कुछ मुद्रा के मूल्य के आधार पर ही निर्धारित किया जा सकता है।

Q. 26. ‘पूर्ण प्रतिस्पर्धा में सभी फर्म द्वारा समरूप वस्तु का उत्पादन होता है।’ स्पष्ट करें।

या, पूर्ण प्रतियोगियों में सभी फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं में समरूपता पायी जाती है। स्पष्ट करें।

 

Ans. पूर्ण प्रतियोगिता में विभिन्न फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं में समरूपता का गुण होता है। उत्पादन में समरूपता होने के कारण विक्रेता बाजार में प्रचलित मूल्य से अधिक कीमत नहीं ले

 

Q.27. प्रति इकाई कर लगाने पर फर्म की पूर्ति वक्र किस ओर शिफ्ट करती है ?

 

Ans. प्रति इकाई कर लगाने पर फर्म की पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाती है।

 

Q. 28. आय के चक्रीय प्रवाह द्वारा अर्थव्यवस्था के संतुलन को दर्शाएं।

 

Ans. अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बीच आय के चक्रीय रूप से प्रवाहित होते रहने को आय का चक्रीय प्रवाह कहा जाता है। आय के चक्रीय प्रवाह के कारण अर्थव्यवस्था में संतुलन

 

Q.29. राष्ट्रीय आय गणना में निवल निवेश को परिभाषित करें। या, निवल निवेश क्या है ? या, शुद्ध निवेश निवेश किसे कहते हैं?

 

Ans. निवल निवेश सकल निवेश में से स्थिर परिसम्पत्तियों के मूल्यहास को घटाने से होता है। इसके कारण ही पूंजी के स्टॉक में शुद्ध वृद्धि होती है।

प्राप्त लनिवेश = सकल निवेश – मूल्यहास (घिसी पीटी

स्थिर परिसम्पत्तियों के पुनः स्थापन सकता है। बना रहता है। पर व्यय)

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