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1. विरुपाक्ष मंदिर की दो विशेषताएं बताएँ।
उत्तर–(i) विरुपाक्ष मन्दिर का निर्माण नवीं या दशमी शताब्दी में किया गया था।
(ii) मंदिर की दीवारों पर शिकार करने, नाच व युद्धों की जीत के जश्न मनाने के सुन्दर दृश्य है।
2. महात्मा बुद्ध की शिक्षायें क्या थीं?
उत्तर–गौतम बुद्ध व्यावहारिक सुधारक थे । वे आत्मा एवं परमात्मा से सम्बन्धित निरर्थक वाद-विवादों से दूर रहे तथा उन्होंने दोनों के अस्तित्व से इनकार किया। उन्होंने कहा कि संसार दुःखमय है और इस दुःख का कारण तृष्णा है । यदि काम, लालसा, इच्छा एवं तृष्णा पर विजय प्राप्त कर ली जाय तो निर्वाण प्राप्त हो जायेगा, जिसका अर्थ है किं जन्म एवं मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जायेगी। गौतम ने निर्वाण की प्राप्ति का साधन अष्टांगिक मार्ग को माना है । ये आठ साधन हैं-सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वाक्, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि । उन्होंने कहा कि न तो अत्यधिक विलास करना चाहिए और न अत्यधिक संयम ही बरतना चाहिए । वे मध्यम मार्ग के प्रशंसक थे । उन्होंने सामाजिक आचरण के कुछ नियम निर्धारित किये थे जैसे-पराये धन का लोभ नहीं करना चाहिए, हिंसा नहीं करनी चाहिए, नशे का सेवन नहीं करना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए तथा दुराचार से दूर रहना चाहिए।
3. अंग्रेजों ने भारत क्यों छोड़ा? किन्हीं. दो कारणों की चर्चा करें।
उत्तर–दीर्घकाल के संघर्ष के बाद भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। स्वतंत्रता के साथ ही उस दासता का अंत हुआ जो 1757 में आरम्भ हुई थी। इस आजादी की लड़ाई में हजारों लोगों को अपना बलिदान देना पड़ा। विभिन्न कारणों के अध्ययन से स्पष्ट होता कि 1885 के बाद से कांग्रेस ने जिस स्वतंत्रता आन्दोलन का आरम्भ किया था उसकी चरम सीमा 15 अगस्त, 1947 का हस्तान्तरण था। अंग्रेजों को स्पष्ट हो गया था कि वे अब भारत में शासन नहीं कर सकते। अतः अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा।
निम्न तत्वों ने भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायक दी थी—-
(1) इंग्लैण्ड की दुर्बल स्थिति-द्वितीय विश्वयुद्ध से इंग्लैण्ड की स्थिति अत्यन्त खराब हो गयी थी। जीत होने पर भी इंग्लैण्ड की हालत पराजित राष्ट्र के समान थी। आर्थिक शक्ति ही किसी भी राष्ट्र की मुख्य शक्ति होती है और इंग्लैण्ड आर्थिक रूप से कमजोर हो गया। इंग्लैण्ड के पास अब इतनी शक्ति नहीं थी। वह सत्ता के हस्तान्तरण को टाल सकता था।
(iii) एशिया में स्वतंत्रता आन्दोलन-द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् अधिकांश एशियाई देशों में स्वतंत्रता आन्दोलन चल रहे थे और यह बात साफ थी कि पश्चिमी राष्ट्र अब उनको गुलाम नहीं रख सकते। हिन्द-चीन में फ्रांस के विरुद्ध और इंडोनेशिया में डचों के विरुद्ध आन्दोलन चल रहे थे। भारत एशिया का एक अग्रणी देश था। यहाँ का स्वतंत्रता आन्दोलन एशिया के अन्य देशों के लिए प्रेरणा स्रोत था। एशिया स्वतंत्रता नवजागरण को दबाया नहीं जा सकता था। अत: इंग्लैण्ड ने शांतिपूर्ण तरीके से भारत में अपना साम्राज्य समाप्त कर दिया।
4. भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को क्यों लागू किया गया?
उत्तर–संघ सूची में वे विषय रखे जो राष्ट्रीय महत्व के हैं तथा जिनके बारे में देश भर में एक समान नीति होना आवश्यक है । जैसे—प्रतिरक्षा, विदेश नीति, डाक-तार व टेलीफोन, रेल मुद्रा, बीमा व विदेशी व्यापार इत्यादि । इस सूची में कुल 35 विषय है।
राज्य सूची में प्रादेशिक महत्त्व के विषय सम्मिलित किये गये थे जिन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया। राज्य सूची के प्रमुख विषय हैं— कृषि, पुलिस, जेल, चिकित्सा, स्वास्थ्य, सिंचाई व मालगुजारी इत्यादि । इन विषयों की संख्या 66 थी।
समवर्ती सूची में 47 विषय थे । इस सूची के विषयों पर केन्द्र तथा राज्यों दोनों कानून बना सकते हैं परन्तु किसी विषय पर यदि संसद और राज्य के विधान मण्डल द्वारा बनाए गए कानूनों में विरोध होता है तो संसद द्वारा बनाए गए कानून ही मान्य होंगे । इस सूची के प्रमुख विषय हैं—बिजली, विवाह कानून, मूल्य नियंत्रण, समाचार पत्र, छापेखाने, दीवानी कानून, हिंसा, वन, जनसंख्या नियन्त्रण
और परिवार नियोजन आदि ।
5. मुगलकाल में निर्मित चार स्थापत्य कलाकृतियों के नाम लिखें।
उत्तर–मुगलकाल में निर्मित चार स्थापत्य कला के नाम (i) ताजमहल, (ii) लाल किला, (iii) जामा मस्जिद, (iv) पंच महल।
6. कब और क्यों साइमन कमीशन भारत आया?
उत्तर–प्रशासनिक सुधार की जाँच कर अपेक्षित सुधार की रिपोर्ट देने के लिए 1919 के ऐक्ट के अनुसार 1927 ई. में ब्रिटिश संसद ने एक वकील सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में सात सदस्यों का एक दल भारत भेजा, जिसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था। परिणामस्वरूप कांग्रेस नेइसका विरोध किया। इस कमीशन को साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है। इसे भारत में जगह-जगह काले झंडे दिखाए गए और ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे लगाये गये।
7. 1857 की क्रांति के क्या परिणाम हुए?
उत्तर–1857 ई. क्रांति के प्रभाव-1857 ई. भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है क्योंकि उसी वर्ष ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन के विरुद्ध भारतीयों का असंतोष क्रांति के रूप में प्रकट हुआ। इसे भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ कहा जाता है । इसी के बाद 1858 ई. में एक घोषणा के द्वारा यह कहा गया कि अब भारत का शासन ब्रिटिश महारानी के नाम से होगा।
8. हड़प्पा सभ्यता के पतन के दो कारण बतायें।
उत्तर–हड़प्पा सभ्यता के पतन के मुख्य कारणों की चर्चा निम्नलिखित रूप से की जा सकती है-
(i) बाढ़-इस मत के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगर नदियों के ही किनारे थे । अत: बाढ़ द्वारा इनका पतन हुआ होगा खुदाई में मिली बालू की मोटी परतें इस मत की पुष्टि करती है।
(ii) अग्निकांड-खुदाई में जली हुई मोटे स्तरों की प्राप्ति से कुछ विद्वान अग्निकांड से इस सभ्यता के पतन की बात करते हैं।
9. दांडी मार्च का उद्देश्य क्या था?
उत्तर–दांडी मार्च का निम्नलिखित उद्देश्य था-(i) हर गाँव में नमक कानून तोड़ा जाये।
(ii) शराब, अफीम, विदेशी कपड़ों की दुकान पर धरना दिया जाये।
(iii) सरकारी संस्थाओं का त्याग करना।
(iv) सरकार को कर नहीं दिया जाए।
10. यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों ने भारत में नगरीकरण को क्यों बढ़ावा दिया? दो कारण बतायें।
उत्तर–नगरीकरण से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसमें नगरों का तीव्र विकास होता है। नये नगर तथा कस्बें अस्तित्व में आते हैं। लोग रोजगार के लिए गाँवों से बड़ी संख्या में इन शहरों की ओर पलायन करते हैं और ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा आबादी के रूप में रूपान्तरित हो जाता
है। मुगल साम्राज्य के विघटन ने नगरीकरण की गति को बढ़ाया। इसे बढ़ाने में यूरोपियन कम्पनियों की व्यापारिक गतिविधियों का भी प्रमुख योगदान था। भारत में औपनिवेशिक काल से आधुनिक नगरीकरण का प्रारम्भ माना जाता है। इसी काल में मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई जैसे बड़े-बड़े नगरों का जन्म तथा विकास हुआ।
11. समुद्रगुप्त की नेपोलियन से तुलना क्यों की जाती है? दो कारण बताएँ।
उत्तर–(i) समुद्रगुप्त के दिग्विजयों के कारण उसकी तुलना नेपोलियन से की जाती है।
(ii) समुद्रगुप्त बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और जीवनभर दिग्विजय रहे।
12. महाजनपद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर–“लगभग एक सहस्र ईस्वी पूर्व से पाँच सौ ईस्वी पूर्व तक के युग को भारतीय इतिहास में जनपद या महाजनपद युग कहा जा सकता है।” जिस प्रदेश में एक जन स्थायी रूप से
गया, वही उसका जनपद (राज्य) हो गया। प्रारम्भ में जनपद में किसी एक वर्ग विशेष के ही रहते थे। अतः उनका जीवन एक ही जातीय, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक परम्परा के ऊपर संगठित था, परन्तु कालान्तर में अन्य वर्ग एवं जातियों के लोग भी आकर उनके जनपदों में बसने लगा इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान तो हुआ, परन्तु बहुत समय तक राजसत्ता एकमात्र आदि जन प्रतिनिधियों के हाथ में रही। प्रत्येक जनपद में बहुसंख्यक गाँव और नगर होते थे। काशिकाकार ने लिखा है कि ग्रामों का समुदाय ही जनपद है। धीरे-धीरे जनपदों की संख्या कम होने लगी। छोटे जनपद बड़े जनपदों में परिवर्तित होने लगे। इस भाँति देश में महाजनपद काल का उदय हुआ। महात्मा बुद्ध के आविर्भाव के पूर्व भारतवर्ष 16 महाजनपदों में विभक्त था। बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तरनिकाय में इनके नाम निम्न प्रकार मिलते हैं-1. अंग, 2. मगध, 3. काशी, 4. कोशल, 5. वज्जि, 6. मल्ल, 7. चेदि, 8. वत्स, 9. कुरु, 10. पांचाल, 11. मत्स्य, 12. शूरसेन, 13. अस्सक, 14. अन्ति, 15, गांधार, 16, कम्बोज।
13. स्थायी बन्दोबस्त से आप क्या समझते हैं?
उत्तर–स्थायी बंदोबस्त –किसानों से मिलने वाली मालगुजारी कम्पनी के आमदनी का मुख्य स्रोत था । अतः कम्पनी के योग्यतम कर्मचारियों को इस राजस्व को एकत्र करने के लिए लगाना पड़ता था । फलस्वरूप दूसरे विभागों का कार्य ठीक से नहीं हो पाता था । परन्तु इस व्यवस्था के कारण सरकार इससे मुक्त हो गयी तथा योग्य व्यक्तियों को अन्य विभागों में लगाया जाने लगा । इस प्रकार प्रशासनिक व्यवस्था की क्षमता बढ़ना स्वाभाविक था ।