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12th History Question Paper 2019

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1. पुरातत्व से आप क्या समझते हैं?

 

उत्तर-प्राचीन इतिहास के अध्ययन में पुरातात्विक स्रोत का अपना विशेष स्थान रखते हैं। इसके प्रमुख कारण यह है कि भारतीय ग्रंथों की संख्या काल की सही-सही जानकारी नहीं होने के कारण किसी काल-विशेष की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का ज्ञान नहीं होता । साहित्यिक साधनों में लेखक का दृष्टिकोण भी सही तथा प्रस्तुत करने में बाधक होता है । ग्रंथों की प्रतिलिपि करने वालों ने अपना इच्छानुसार प्राचीन प्रकरणों को छोड़कर अनेक नए प्रकरण जोड़ देते हैं। लेकिन पुरातात्विक सामग्री में इस प्रकार के हेर-फेर की संभावना बहुत कम होता है। अतः पुरातात्विक स्रोत अधिक विश्वसनीय होते हैं।

 

2. हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली का वर्णन करें।

 

उत्तर-मोहनजोदड़ो के नगर नियोजन की एक प्रमुख विशेषता जल निकासी प्रणाली थी। यहाँ के अधिकांश भवनों में निजी कुएँ व स्नानागार होते थे। भवनों के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का पानी भवन की छोटी-छोटी नालियों से निकलकर गली की नाली में आता था। गली के नाली को मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। नालियों की सफाई एवं कुड़ा-करकट को निकालने के लिए बीच-बीच में मेन होल भी बनाये गये थे। ऐसी व्यवस्था किसी अन्य समकालीन नगर में देखने को नहीं मिलता है।

 

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3. मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के विषय में लिखें।

उत्तर-मोहनजोदड़ो में एक विशाल सार्वजनिक स्नानागार थी, जिसकी लम्बाई 39 फीट, चौड़ाई 4 फीट और गहराई 8 फीट है। इसमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनी थी। स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों से बना था। स्नानागार से जल निकासी एवं स्वच्छ जल को कुएँ द्वारा लाया जाता था। यह स्नानागार तत्कालीन उन्नत तकनीक का परिचायक है।

 

 

4. मोहनजोदड़ो के अन्मागार के विषय में लिखें।

 

उत्तर-मोहनजोदड़ो में 45.72 मीटर लम्बा एवं 22.86 मीटर चौड़ा एक अन्नागार मिला है। अन्नागार का सुदृढ़ आकार प्रकाश हवा आने-जाने की व्यवस्था तथा इनमें अन्न भरने की व्यवस्था निःसंदेह उच्चकोटी की थी।

5. मौर्यकालीन इतिहास के चार अभिलेख स्रोत को लिखें।

 

उत्तर -मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी हेतु हमारे पास साहित्यिक एवं पुरातात्विक दोनों प्रकार के स्रोत है। साहित्यिक स्रोतों में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, मेगास्थनीज की इण्डिका विशाखदत्त की मुद्राराक्षस महत्त्वपूर्ण है तो पुरातात्विक स्रोतों में अशोक के शिलालेख, स्तम्भलेख, कुम्हरार के अवशेष महत्त्वपूर्ण एवं विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं।

6. मौर्यकालीन कला एवं स्थापत्य का वर्णन करें।

 

उत्तर-कला- पाटलिपुत्र में चन्द्रगुप्त मौर्य का राजप्रासाट वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण था। फाह्यान के अनुसार, यह प्रासाद मानव कृति न होकर देवों द्वारा निर्मित लगती है।

स्थापत्य-बौद्ध परम्परा के अनुसार अशोक ने 84,000 स्तूप बनवाये थे। यह अतिशयोक्ति हो सकती है मगर ह्वेनसांग ने 80 स्तूप को स्वयं अपनी आँखों से देखा था। साँची का स्तूप मौर्य वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।






7. किन्हीं दो गुप्तकालीन मन्दिरों के नाम एवं स्थान को लिखें।

उत्तर-गुप्तकालीन दो मंदिर (i) एरण का विषणु मन्दिर, सांगर (म.प्र.), (ii) तिगवा का विष्णु मन्दिर, जबलपुर (म.प्र.)।




8. प्राचीन भारत में वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।

 

उत्तर-प्राचीनकाल में हिन्दू समाज चार वर्णों- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र में बँटा हुआ था। इन्हीं वर्णों को बाद में जातियाँ कहा जाने लगा। आरम्भ में जाति-प्रथा का विचार केवल व्यवसायों की दृष्टि से किया जाता था और व्यक्ति एक जाति से दूसरी जाति में सुगमता से दाखिल हो जाता था, परन्तु धीरे-धीरे जाति-प्रथा जन्म से मानी जाने लगी और एक जाति से दूसरी जाति में जाना असम्भव हो गया और इस प्रकार चार मुख्य वर्ण बढ़ते-बढ़ते अब कोई तीन हजार जातियों तक पहुँच चूके हैं।

9. ‘त्रिपिटक’ के विषय में आप क्या जानते हैं?

 

उत्तर-त्रिपिटक का शाब्दिक अर्थ है- तीन टोकरियाँ जिनमें कि पुस्तक रखी जाती हैं। बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं का संकलन तीन पिटकों-सुत्तपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटक में किया है। इन्हें संयुक्त रूप में त्रिपिटक कहा जाता है।

सुत्तपिटक में बुद्ध धर्म के सिद्धांत मिलते हैं। विनयपिटक में बुद्ध धर्म के आचार-विचार एवं नियम मिलते हैं। अभिधम्मपिटक में बुद्ध का दर्शन मिलता है।

10. लिंगायत सम्प्रदाय की दो विशेषताओं का वर्णन करें।

 

 

 

उत्तर-लिंगायत संप्रदाय की विशेषता-(i) वे शिव की आराधना लिंग के रूप में करते थे। (ii) इस समुदाय के पुरुष बायें कंधे पर चाँदी के एक पिटारे में एक लघु लिंग के धारण करते हैं। जिन्हें श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है।


11. बौद्ध धर्म के अस्टांगिक मार्ग के चार नाम बताइए।

 

उत्तर-महात्मा बुद्ध द्वारा निर्वाण प्राप्त करने के लिए जिस मार्ग को अपनाने के लिए कहा गया उसे अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है। इस मार्ग के चार अंग निम्न हैं-(i) सम्यक् दृष्टि, (ii) सम्यक् वचन, (iii) सम्यक् जीविका, (iv) सम्यक् स्मृति।

12. अकबर कालीन भू-राजस्व व्यवस्था का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

 

उत्तर-एक उचित भू-राजस्व प्रणाली अकबर ने अपने अधिकारी. राजा टोडरमल की सहायता से भूमि बन्दोबस्त प्रणाली को और अधिक स्पष्ट एवं व्यावहारिक बनाया। हालांकि अकबर की यह प्रणाली शेरशाह सूरी द्वारा अपने संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान लागू किया था के आधार पर ही किया गया था। अकबर की भूमि बंदोबस्त प्रणाली कृषकों के लिए लाभदायक थी। क्योंकि अकाल तथा सूखा पड़ने पर कृषकों को भूमि कर में छूट दी जाती थी। कृषकों को तकाबी ऋण वितरित किये जाते थे। ताकि बीज, पशु, कृषि यंत्र आदि ले सकें। कृषकों को राज्य के अधिकारियों के धोखे तथा भ्रष्टाचार से बचने के लिये सरकार ने व्यापक प्रबन्ध किये थे। अकबर की. भूमि बन्दोबस्त प्रणाली शानदार एवं दीर्घकालीन लाभप्रद था। इससे सरकार और किसान दोनों संतुष्ट थे। अकबर का राजकोष भी शीघ्र भर गया था।



13. मुगलकालीन सिंचाई व्यवस्था पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

 

उत्तर-मुगलकाल में सिंचाई हेतु कुँए, नहर आदि का उपयोग किया जाता था। मुगल सम्राटों ने कृषकों को सामूहिक रूप से तालाबों का निर्माण करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता था। शाहजहाँ ने खानदेश एवं बरार के कृषकों को तालाब निर्माण हेतु अग्रिम अनुदान दिया। 16वीं एवं 17वीं शताब्दी में राजस्थान के मेवाड़ सहित अन्य स्थानों पर अनेक झीलों का निर्माण कराया गया। कृषि की अधिक निर्भरता मानसून पर था।

 

14. अकबर को राष्ट्रीय शासक क्यों कहा जाता है? दो कारण दें।

 

उत्तर -अकबर इतिहास में महान की उपाधि से विभूषित हैं और इसकी महानता का मुख्य कारण -इसका विराट् व्यक्तित्व । साम्राज्य की सुदृढ़ता, साम्राज्य में शांति स्थापना तथा मानवीय भावनाओं से उत्प्रेरित अकबर ने न सिर्फ गैर मुसलमानों को राहत दिया, राजपूतों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था भी प्रदान किया । धार्मिक सामंजस्य के प्रतीक के रूप में उसका दीन-ए-इलाही प्रशंसनीय है।



 

15. अकबर ने यात्रा कर क्यों समाप्त किया? दो कारण लिखें।

 

उत्तर-अकबर ने सोचा कि अगर वह राजपूत राजाओं को अपने दरबार में शामिल करना चाहता है तो उसे लोगों को यह दिखाना पड़ेगा कि वह हिन्दुओं के साथ कोई भेदभाव नहीं करता और सचमुच हिन्दुस्तान के लोगों के साथ मिलकर राज्य चलाना चाहता है। उन दिनों हिन्दुओं पर दो विशेष कर लगाए जाते थे। जजिया कर और तीर्थ स्थानों की यात्रा करने वालों पर कर। जजिया कर बादशाह के सभी अधिकारियों व अनाथ लोगों से नहीं लिया जाता था। अकबर ने सन् 1562 में यात्रा कर हटा दिया और 1564 में हिन्दुओं से जजिया कर लेना भी बंद कर दिया।





16. मुगलकालीन चित्रकला की क्या विशेषता थी?

 

उत्तर-मुगल सम्राट बाबर, हुमायूँ, अकबर एवं जहाँगीर को चित्रकला में विशेष रूची थी। जहाँगीर के काल में तो चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी थी। अकबर के काल में पोथी चित्र, भीड़-भाड़ के चित्र, व्यक्ति एवं पशु-पक्षियों के चित्र अधिक बने। जहाँगीर चित्रकला का इतना बड़ा पारखी था कि वह चित्र देखकर बता सकता था कि इस चित्र में कौन-सा भाग किस चित्रकार द्वारा बनाया गया है। शाहजहाँ के काल में चित्र निर्माण में चमकदार रंगों का प्रयोग होने लगा, परिणामस्वरूप चित्रों की सजीवता में कमी आयी।





17. आयंगर व्यवस्था के विषय, में आप क्या जानते हैं?

 

उत्तर- विजयनगर साम्राज्य कई प्रांतों में विभक्त था। प्रांत मंडल में विभक्त था। मंडल, जिले में विभक्त था। जिला कई गांव में विभक्त था  आयंगर व्यवस्था के अनुसार, प्रत्येक ग्राम को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में संगठित किया जाता था इस पर 12 व्यक्ति मिलकर शासन करते थे जिन्हें सामूहिक रूप से इंकार कहा जाता था

 

18. रैयतवाड़ी व्यवस्था की विशेषताओं को लिखें।

 

उत्तर-रैयतबाड़ी बन्दोबस्ती व्यवस्था की विशेषताएँ—यह व्यवस्था बम्बई, असम तथा मद्रास के अन्य प्रान्तों में लागू की गई। इसके अन्तर्गत औपनिवेशिक भारत की भूमि का 51% भाग था। भू-राजस्व की यह व्यवस्था मद्रास प्रेसीडेंसी और बम्बई प्रेसीडेंसी के कुछ भागों में लागू किया गया था। यह व्यवस्था सीधे किसानों के साथ की गई थी।







19. 1857 के विद्रोह के प्रभाव का वर्णन करें।

 

उत्तर-सैनिकों में व्याप्त असंतोष 1857 ई. के विद्रोह का एक प्रमुख कारण था । सैनिकों का असंतोष ही विद्रोह का तात्कालिक कारण बना । भारतीय सैनिकों को ऊँचे पद, वेतन और अन्य सुविधाओं से वंचित रखा जाता था। उन्हें इच्छानुसार कभी भी नौकरी से निकाला जा सकता था। लॉर्ड कैनिंग ने जेनरल सर्विस इनलिस्टमेंट एक्ट द्वारा भारतीय सैनिकों को समुद्र पार भेजने की व्यवस्था की। यह भारतीय के धर्म के खिलाफ समझी जाती थी। इससे भारतीय सैनिकों की भावनाओं को ठेस पहुंची। 1857 ई. सैनिकों को एनफील्ड राइफल दी गई। इसके कारतूस को दाँत से काटना पड़ता था। यह अफवाह फैली की इसमें गाय औ सुअर की चर्बी मिली रहती है। इससे हिन्दू और मुसलमान सैनिक भड़क उठे । मार्च 1857 में बैरकपुर छावनी में सिपाही मंगल पाण्डेय ने अपने अधिकारी की

हत्या कर दी। इसके साथ ही पूरे भारत में विद्रोह भड़क उठा।






20. सिविल लाइन्स का विकास किस प्रकार हुआ?

 

उत्तर-1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने अपनी सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया। अंग्रेजों को देशी निवासियों से दूर बसाया जाता था। अंग्रेजों के इन निवास क्षेत्रों को सिविल लाइन्स के नाम से जाना जाता था। ये क्षेत्र नगर के आस-पास खेतों तथा ऊबड़-खाबड़ क्षेत्रों को समतल करके विकसित किये गये थे। ये इलाके पक्की सड़कों से मुख्य नगर से जुड़े हुए थे। यह क्षेत्र काफी साफ-सुथरे व्यवस्थित होते थे।




21. चम्पारण सत्याग्रह का संक्षेप में विवरण दें।

 

उत्तर-19वीं सदी के प्रारम्भ में गोरे बागान मालिकों ने किसानों से एक अनुबन्ध किया जिसके अनुसार किसानों को अपनी जमीन के 3/20वें हिस्से में नील की खेती करना अनिवार्य था। इस ‘तिनकठिया’ पद्धति कहा जाता था। किसान इस अनुबन्ध से मुक्त होना चाहते थे। 1917 में चम्पारण के राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर गाँधीजी चम्पारण पहुँचे । गाँधीजी के प्रयासों से सरकार ने चम्पारण के किसानों की जाँच हेतु एक आयोग नियुक्त किया । अंत में गाँधीजी की विजय हुई।

22. रॉलेट एक्ट पर टिप्पणी लिखें।

 

उत्तर-भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की । फरवरी, 1919 ई० में रॉलेट ने दो विधेयक प्रस्तावित किए जो पारित होने के बाद ‘रॉलेट ऐक्ट’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। भारतीय नेताओं के विरोध करने पर भी सरकार ने 21 मार्च 1919 को इसे लागू कर दिया । इस ऐक्ट के अनुसार किसी भी व्यक्ति को संदेह मात्र होने पर उसे गिरफ्तार किया जा सकता था । अथवा गुप्त मुकदमा चलाकर निर अपराधी को भी दण्डित किया जा सकता था इसलिए इस ऐक्ट को भारतीयों ने ‘काले कानून’ की संज्ञा दी।





23. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दो कारण लिखें।

 

उत्तर-1929 ई. में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में गाँधीजी के नेतृत्व में पूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए सविनय अवज्ञा-आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया गया । सविनय अवज्ञा आंनदोलन के निम्नलिखित कार्यक्रम थे—(i) प्रत्येक गाँव में नमक कानून तोड़कर नमक बनाया जाए।

(ii) शराब और विदेशी कपड़ों की दुकानों पर धरना (विशेषकर महिलाओं द्वारा) दिया जाए।

(ii) विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाएँ





24. भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को क्यों लागू किया गया?

 

उत्तर-भारतीय संविधान की प्रस्तावना हमें यह बताती है कि वास्तव में संविधान का क्या उद्देश्य है। यह घोषणा करता है कि संविधान का स्रोत भारत की जनता है। यह निम्नलिखित सिद्धांतों तथा आदशी पर बल देता है—(क) न्याय-सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक । (ख) स्वतंत्रता- विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास और पूजा-अर्चना की। (ग) समानता–प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता ।  (घ) भ्रातृत्व-व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता व अखंडता सुनिश्चित करना तथा आपसी बन्धुत्व बढ़ाना।







25. मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की माँग क्यों की गई?

 

उत्तर-मुस्लिम लीग सिद्धांततः भारत का विभाजन चाहती थी। उसकी नजर में हिन्दू और मुसलमान दो कौम या राष्ट्र है। ये दोनों कभी एक नहीं हो सकते। दोनों ने 1937 में चुनाव में भाग लिया, लेकिन मुस्लिम लीग चुनाव हार गई। जिन्ना ने कांग्रेस का विरोध किया और कहा कि मुसलमान अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक हिन्दुओं में समा जाने का खतरा है। 1940 में मुस्लिम लीग प्रस्ताव पारित करके आजादी के बाद भारत को दो भागों में बाँटने की माँग रख दी। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र होंगे। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान पाने के लिए साम्प्रदायिक दंगे करा दिये। नये वायसराय माउंटबेटन भी पाकिस्तान चाहते थे। मुस्लिम लीग को यह आशंका थी कि आजादी के बाद चुनावों में मुस्लिम लीग कभी भी सत्ता में नहीं आ पायेगी। इसलिए मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की माँग की।

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