(क) मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है?
उत्तर – मनुष्य निरंतर सभ्य होने के लिए प्रयासरत रहा है। प्रारंभिक काल में मानव एवं पशु एक समान थे। नाखून अस्त्र थे। लेकिन जैसे-जैसे मानवीय विकास की धारा अग्रसर होती गई मनुष्य पशु से भिन्न होता गया। उसके अस्त्र-शस्त्र, आहार-विहार, सभ्यता-संस्कृति में निरंतर नवीनता आती गयी । वह पुरानी जीवन-शैली को परिवर्तित करता गया। जो नाखून अस्त्र थे उसे अब सौंदर्य का रूप देने लगा। इसमें नयापन लाने, इसे सँवारने एवं पशु से भिन्न दिखने हेतु नाखूनों को मनुष्य काट देता है
(ख) लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था?
उत्तर – लेखक की पत्नी निर्मला सबेरे से शाम तक खटती रहती थीं। अपने सभी रिश्तेदारों के यहाँ नौकर. देखकर लेखक को उनसे जलन भी हुई थी। नौकर नहीं होने के कारण लेखक और उसकी पत्नी लगभग अपने को अभागे समझने लगे थे। इन परिस्थितियों में नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था।
(ग) बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय कब आया?
उत्तर – जब महाराज जी के बाबूजी की मृत्यु हुई तब उनके लिए बहुत दुखदायी समय व्यतीत हुआ । घर में इतना भी पैसा नहीं था कि दसवाँ किया जा सके। इन्होंने दस दिन के अन्दर दो प्रोग्राम किए। उन दो प्रोग्राम से 500 रु० इकट्ठे हुए तब दसवाँ और तेरहवीं की गई। ऐसी हालत में नाचना एवं पैसा इकट्ठा करना महाराजजी के जीवन में सबसे दु:खद समय आया।
(घ) ‘दिनकर’ की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ से मिलेंगे?
उत्तर – कवि ने भारतीय प्रजा, जो खून-पसीना बहाकर देशहित का कार्य करती है, जिसके बल पर देश में सुख-संपदा स्थापित होता है, किसान, मजदूर जो स्वयं आहूत होकर देश को सुखी बनाते हैं, को आज का देवता कहा है।
(ङ) हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है?
उत्तर – आज भी हिरोशिमा में साक्षी के रूप में, अर्थात् प्रमाण के रूप में जहाँ-तहाँ जले हुए पत्थर, दीवारें पड़ी हुई हैं। यहाँ तक कि पत्थरों पर, टूटी-फूटी सड़कों पर, घर की दीवारों पर लाश के निशान छाया के रूप में साक्षी हैं।
(च) कवि जीवनानंद दास अगले जीवन में क्या-क्या बनने की संभावना व्यक्त करते हैं, और क्यों?
उत्तर – कवि को अपनी मातृभूमि प्रेम में विह्वल होकर चिड़ियाँ, कौवा, हंस, उल्लू. सारस बनकर पुनः बंगाल की धरती पर अवतरित होना चाहते हैं।
(छ) मंगम्मा ने अपना ‘धरम’ नहीं छोड़ा, कैसे?
उत्तर – रंगप्पा को घास नहीं डालकर मंगम्मा ने अपने धर्म की रक्षा की। रंगप्पा उसकी इज्जत लूटना चाहता था, पर मंगम्मा ने उससे दूरी बनाए रखी।
(ज) सीता की स्थिति बच्चों के किस खेल से मिलती-जुलती थी?
उत्तर – बच्चों का खेल-‘माई-माई रोटी दे’। भिखारिन आती है और कहती है-‘माई-माई रोटी दे’ अन्दर से उत्तर मिलता है-‘यह घर छोड़ दूसरे घर जा’ । सीता भी अपने को उस भिखारिन जैसी मानती है। इसे भी महीना पूरे होते ही वही आदेश सुनाई देता है।
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10th Science Question Bank 2024 1st Sitting16/08/2024/0 Comments